हर साल एक दिन ऐसा आता है जब पूरे देश की आंखें उन वीरों के लिए नम हो जाती हैं जो हमारी सुरक्षा के लिए चुपचाप अपनी जान दे देते हैं। यह कहानी किसी एक शहर की नहीं, बल्कि उस हर वर्दी वाले की है जिसने तिरंगे की शान में खुद को कुर्बान कर दिया। आज दुमका में भी कुछ ऐसा ही हुआ, जहां 191 शहीदों की याद में आंसू भी थे और गर्व भी।
यह सिर्फ एक सरकारी कार्यक्रम नहीं था, बल्कि उन बलिदानों को याद करने का एक मौका था, जिनकी वजह से हम आज महफूज़ हैं।
दुमका में गूंजा शहीदों का जयघोष
मंगलवार, 21 अक्टूबर को दुमका के पुलिस केंद्र का माहौल बेहद भावुक था। पुलिस संस्मरण दिवस के मौके पर पुलिस अधीक्षक (एसपी) पीताम्बर सिंह खेरवार ने वहां मौजूद सभी पुलिसकर्मियों के साथ मिलकर देश के वीर शहीदों को श्रद्धांजलि दी।
अपने संबोधन में एसपी खेरवार ने कहा, “[जैसा कि हम सभी जानते है कि आज पुलिस ‘संस्मरण दिवस’ है।]” उन्होंने उन सभी जवानों को याद किया जिन्होंने देश की एकता और अखंडता के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए।
क्यों खास है 21 अक्टूबर की तारीख?
बहुत से लोग नहीं जानते कि यह दिन क्यों मनाया जाता है। इसके पीछे एक ऐसी कहानी है जो हर भारतीय के दिल में देशभक्ति का जज़्बा भर देती है।
यह बात 1959 की है। 21 अक्टूबर को लद्दाख के हॉट स्प्रिंग्स में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के जवान तैनात थे 。 तभी चीनी सैनिकों ने घात लगाकर हमला कर दिया। हमारे केवल 21 जवानों की छोटी सी टुकड़ी ने बड़ी बहादुरी से उनका सामना किया। इस लड़ाई में CRPF के उपाधीक्षक करम सिंह के नेतृत्व में दस जवान वीरगति को प्राप्त हो गए थे।
उन्ही दस वीरों की शहादत को सलाम करने के लिए हर साल 21 अक्टूबर को “पुलिस संस्मरण दिवस” मनाया जाता है.
आंकड़े जो आंखें नम कर दें: 191 जवानों की शहादत
एसपी पीताम्बर सिंह खेरवार ने बताया कि यह बलिदान आज भी जारी है। उन्होंने बताया कि पिछले सिर्फ एक साल में (1 सितंबर 2024 से 31 अगस्त 2025 तक) देशभर में 191 पुलिस पदाधिकारी और जवान शहीद हुए हैं।
ये जवान देश की सीमाओं की रक्षा करने से लेकर आंतरिक सुरक्षा और शांति बनाए रखने जैसे कर्तव्यों को निभाते हुए शहीद हुए। यह आंकड़ा हमें याद दिलाता है कि हमारी शांति और सुरक्षा कितनी कीमती है।
झारखंड का वीर सपूत: शहीद सुनील धान
इस मौके पर एसपी ने विशेष रूप से झारखंड पुलिस के शहीद आरक्षी सुनील धान को याद किया। उन्होंने कहा, “[हम झारखण्ड राज्य के एक शहीद पुलिसकर्मी के साथ-साथ हम उन सभी पुलिसकर्मियों को नमन करते है तथा उन्हें अपनी श्रद्धा-सुमन अर्पित करता हूँ जिन्होने विगत एक वर्ष में अपनी शहादत दी है।]”
यह पल दुमका और पूरे झारखंड के लिए गर्व का भी था और भावुक भी, जब अपने ही एक वीर सपूत को याद किया गया।
सिर्फ एक दिन नहीं, हर दिन याद आएं ये वीर
यह दिवस सिर्फ पुलिस विभाग के लिए नहीं, बल्कि हर नागरिक के लिए है। यह हमें याद दिलाता है कि वर्दी के पीछे भी एक इंसान है, एक परिवार है, और देश के लिए मर मिटने का एक अटूट जज़्बा है। राष्ट्रीय स्तर पर भी नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय पुलिस स्मारक पर शहीदों को श्रद्धांजलि दी जाती है, जो उनके सर्वोच्च बलिदान का प्रतीक है.
इन वीरों का बलिदान सिर्फ एक दिन याद करने के लिए नहीं है। उनकी कहानियाँ हमें हर दिन प्रेरणा देती हैं। आप अपने इलाके के किस शहीद को आज याद करना चाहेंगे? कमेंट्स में ज़रूर बताएं और इस कहानी को शेयर करें ताकि हर कोई इन नायकों को सलाम कर सके।
Aslo Read: झारखंड का मेडिकल सपना, 200 नई सीटें