दुरंतो एक्सप्रेस पर पथराव: झारखंड में यात्री घायल, रेलवे सुरक्षा पर सवाल

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23 अक्टूबर, 2025

भारत के विशाल रेल नेटवर्क पर बढ़ती असुरक्षा की एक डरावनी घटना ने फिर सुर्खियां बटोरीं। बुधवार देर रात झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिले में मनोहरपुर के पास अज्ञात हमलावरों ने तेज रफ्तार दुरंतो एक्सप्रेस पर पथराव किया। इस हमले में ट्रेन की एक खिड़की चकनाचूर हो गई और एक यात्री घायल हो गया। इससे यात्रियों में दहशत फैल गई और रेलवे की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठने लगे। जैसे-जैसे पुलिस अपराधियों की तलाश में जुटी है, यह घटना रेलवे पर बढ़ते पथराव के मामलों को उजागर करती है, जिसने यात्रियों में गुस्सा और डर पैदा कर दिया है।

आधी रात का हमला: रेलगाड़ी में क्या हुआ?

मुंबई-हावड़ा दुरंतो एक्सप्रेस (ट्रेन नंबर 12222), जो भारत के दो बड़े शहरों को जोड़ती है, चक्रधरपुर रेल मंडल के मनोहरपुर स्टेशन के पास जंगल से गुजर रही थी, तभी अचानक हादसा हुआ। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, एक भारी पत्थर बोगी नंबर A-4 की सीट नंबर 33 की खिड़की पर जोर से टकराया, जिससे कांच के टुकड़े बिखर गए और एक यात्री के सिर और हाथ पर चोट लगी। घायल यात्री, जो महाराष्ट्र का एक मध्यम आयु का व्यक्ति बताया गया, को मामूली चोटें आईं। उसे ट्रेन में ही प्राथमिक उपचार दिया गया, जिसके बाद ट्रेन हावड़ा के लिए रवाना हो गई।

रेलवे सुरक्षा बल (RPF) ने तुरंत ट्रेन को रोककर निरीक्षण किया और आसपास के इलाकों में तलाशी शुरू की। एक वरिष्ठ RPF अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, “पत्थर में काफी ताकत थी, जिससे लगता है कि इसे पास से, शायद सड़क किनारे की झाड़ियों से फेंका गया।” अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है, लेकिन नजदीकी स्टेशनों के CCTV फुटेज और गश्ती दल जांच में जुटे हैं। सोशल मीडिया पर यात्रियों द्वारा शेयर किए गए वायरल वीडियो में टूटी खिड़की और सीटों पर खून के धब्बे साफ दिख रहे हैं, जो घटना की भयावहता को दर्शाते हैं।

सोशल मीडिया पर लोगों का गुस्सा फूट पड़ा। एक X यूजर ने टूटी खिड़की का वीडियो शेयर करते हुए लिखा, “100 किमी प्रति घंटे की रफ्तार पर ये हाल? रेलवे, जागो! #दुरंतोएक्सप्रेस #झारखंड।” एक अन्य स्थानीय न्यूज हैंडल ने ट्वीट किया, “मनोहरपुर के पास दुरंतो पर पथराव—एक यात्री घायल। कितनी बार होगा ये?”

बार-बार खतरा: मनोहरपुर में पहली बार नहीं

यह कोई पहली घटना नहीं है। झारखंड का मनोहरपुर, जो एक आदिवासी इलाके में बसा रिमोट जंक्शन है, पहले भी ऐसी तोड़फोड़ का गवाह बन चुका है। मार्च 2025 में ही दुर्ग-आरा साउथ बिहार एक्सप्रेस पर इसी तरह पथराव हुआ था, जिसमें खिड़कियां टूटीं, लेकिन सौभाग्य से यात्री सुरक्षित रहे। दक्षिण पूर्व रेलवे के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले तीन महीनों में चक्रधरपुर डिवीजन में कम से कम सात ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं, खासकर उन ग्रामीण इलाकों में जहां रेलवे ट्रैक जंगलों से होकर गुजरते हैं।

विशेषज्ञ कई कारणों की ओर इशारा करते हैं: नौजवानों का रोमांच, स्थानीय विवाद, या व्यवस्था विरोधी शरारत। रेलवे सुरक्षा विशेषज्ञ डॉ. प्रिया शर्मा कहती हैं, “ये हमले बेतरतीब नहीं हैं; ये प्रगति के प्रतीकों पर निशाना साधते हैं।” उन्होंने 2022 में देशभर में 1,500 से अधिक घटनाओं का दस्तावेजीकरण किया है, जिससे रेलवे को करोड़ों का नुकसान हुआ। वंदे भारत जैसी हाई-प्रोफाइल ट्रेनें भी निशाने पर रहीं, जैसे पिछले साल उत्तर प्रदेश में एक सांसद की मौजूदगी में खिड़की टूटने की घटना।

यात्री संगठन भी आक्रोश में हैं। छोटानागपुर पैसेंजर एसोसिएशन ने रेलवे पर “आपराधिक लापरवाही” का आरोप लगाया और हॉटस्पॉट्स में 24/7 ड्रोन निगरानी व सामुदायिक जागरूकता की मांग की। प्रवक्ता रवि कुमार ने कहा, “हमारे सदस्य रोज इन रास्तों से सफर करते हैं—डर किराए का हिस्सा नहीं होना चाहिए।”

रेलवे का जवाब: तकनीक और सख्ती

जवाब में, चक्रधरपुर डिवीजन ने मनोहरपुर और चक्रधरपुर स्टेशनों सहित हावड़ा-मुंबई कॉरिडोर पर 20 जोखिम भरे स्थानों पर सौर ऊर्जा से चलने वाले CCTV कैमरे लगाने शुरू किए हैं। एक रेलवे प्रवक्ता ने आश्वासन दिया, “हम इसे गंभीर सुरक्षा चूक मान रहे हैं और RPF व GRP के साथ गश्त बढ़ा रहे हैं।” रेलवे एक्ट के तहत अपराधियों को तीन साल तक की सजा हो सकती है।

बड़े स्तर पर सुधार भी हो रहे हैं। भारतीय रेलवे का 2025 सुरक्षा ब्लूप्रिंट AI-आधारित खतरे की पहचान और ट्रैक के पास स्कूलों में जागरूकता अभियान शामिल करता है, ताकि 2021-2025 में दक्षिण मध्य रेलवे में 10 गुना बढ़ी घटनाओं पर लगाम लगे। फिर भी, एक X पोस्ट ने तंज कसा, “कैमरे अच्छे हैं, लेकिन दिलों का क्या? पत्थर फेंकने वालों को शिक्षित करो, वरना जिंदगियां बिखरेंगी।”

यात्रियों की बेचैनी: डर का सफर

दुरंतो के यात्रियों के लिए यह सदमा अभी ताजा है। कोलकाता जा रही शिक्षिका अनिता दास ने फोन पर बताया, “मैं झपकी ले रही थी, तभी कांच बिखर गया—लगा जैसे बम फटा।” उनका परिवार अब उड़ान भरने पर विचार कर रहा है, जो रेलवे पर घटते भरोसे को दर्शाता है।

जैसे ही झारखंड के ट्रैक्स पर सूरज उगता है, न्याय की तलाश तेज हो रही है। लेकिन कैमरों और गिरफ्तारियों से परे, इस पत्थर का असर एक सवाल छोड़ता है: क्या भारत की रेलगाड़ियां अंधेरे में सुरक्षित हैं? जब तक जवाब नहीं मिलता, हर सीटी में सावधानी की सायं सुनाई देगी।

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